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पेशावर में आतंकवादी कारी एजाज़ अबिद की हत्या – आतंकी नेटवर्क में हड़कंप!

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पाकिस्तान और वैश्विक आतंकवाद-रोधी समुदाय को हिला देने वाली एक नाटकीय घटना में, कुख्यात जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े प्रमुख आतंकवादी कारी एजाज़ अबिद की 07 अप्रैल, 2025 को पेशावर में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा हत्या कर दी गई। पिश्तखारा क्षेत्र में अंजाम दी गई इस सटीक हत्या ने पूरे आतंकी नेटवर्क में हड़कंप मचा दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स में लिखा जा रहा है—“सभी आतंकवादी सदमे में हैं।”

हिंदू, ईसाई और यहूदी समुदायों के प्रति अपनी घृणा के लिए कुख्यात अबिद की मौत को कई लोग पाकिस्तान में उभरते रहस्यमयी समूह “अज्ञात लोग” की एक और कार्रवाई मान रहे हैं—एक ऐसी ताकत जो अब आतंकियों के बीच भय का दूसरा नाम बन चुकी है।


कारी एजाज़ अबिद: एक कट्टरपंथी आतंकी की प्रोफाइल

कारी एजाज़ अबिद, जैश-ए-मोहम्मद जैसे उग्रवादी संगठन में केवल एक मोहरा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक स्तंभ था। वह JeM के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर का करीबी रिश्तेदार और विश्वासपात्र माना जाता था। पुलवामा बम धमाका (2019) और संसद हमला (2001) जैसे भीषण हमलों से जुड़े JeM के संचालन में अबिद की भूमिका निर्णायक मानी जाती थी।

खैबर पख्तूनख्वा में जन्मा अबिद जल्द ही अहले-ए-सुन्नह वल जमात (ASWJ) जैसे कट्टरपंथी संगठन से जुड़ गया। वह सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले भाषणों, खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर, अपनी विचारधारा का प्रचार करता था। खात्म-ए-नबुवत आंदोलन के प्रांतीय प्रमुख के रूप में उसकी भूमिका ने उसे आतंकवादियों के बीच और भी उंचा दर्जा दिलाया।


पेशावर में हमला: एक सटीक ऑपरेशन

हमला उस वक्त हुआ जब अबिद एक वाहन में बैठकर किसी गुप्त बैठक के लिए जा रहा था। नकाबपोश और भारी हथियारों से लैस हमलावरों ने उस पर गोलियों की बौछार कर दी, जिससे वह मौके पर ही मारा गया। साथ मौजूद कारी शाहिद गंभीर रूप से घायल हुआ और अस्पताल में ज़िंदगी की जंग लड़ रहा है।

यह ऑपरेशन अपनी सटीकता और सफाई के लिए उल्लेखनीय है। हमलावरों ने एक भी सबूत नहीं छोड़ा—यह अंदाज़ “अज्ञात लोगों” की परिचित कार्यप्रणाली से मेल खाता है।


“अज्ञात लोग”: आतंक के खिलाफ एक छाया युद्ध

“अज्ञात लोग” — यह नाम अब पाकिस्तान के आतंकी अंडरवर्ल्ड में दहशत का प्रतीक बन चुका है। पिछले एक साल में, कराची से लेकर रावलपिंडी तक कई आतंकवादियों की रहस्यमय हत्याओं को इसी समूह से जोड़ा गया है। लेकिन अब तक उनकी पहचान किसी के सामने नहीं आई है।

संभावित थ्योरीज़:

  • पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों का अघोषित गुट?
  • विदेशी एजेंसियों (भारत/अमेरिका) की गुप्त कार्रवाई?
  • या पूर्व उग्रवादियों का सतर्कता समूह, जो न्याय अपने हाथ में ले रहा है?

जो भी हों, उनकी रणनीति साफ है—“न कोई बयान, न कोई सुराग, बस खत्म कर देना।”


आतंकी हलकों में हड़कंप

अबिद की मौत ने JeM के संचालन पर बड़ा असर डाला है। उसकी भर्ती रणनीतियां, फंडिंग चैनल्स और आतंकी लॉजिस्टिक्स की जिम्मेदारी अब अधर में लटक गई है। इससे JeM की ताकत कमज़ोर हो सकती है।

ASWJ में भी हलचल मची है। विश्लेषकों को आशंका है कि संगठन जवाबी कार्रवाई में सांप्रदायिक हिंसा को हवा दे सकता है, विशेषकर शिया या अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ।


भारत और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ इस कार्रवाई को आतंक विरोधी प्रयासों की दिशा में एक बड़ी सफलता मान रहे हैं। यह JeM के शीर्ष नेतृत्व तक खतरे की स्पष्ट चेतावनी है।


जैश-ए-मोहम्मद का इतिहास: आतंक का एक दशक

2000 में स्थापित JeM, आज भी दक्षिण एशिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। 2019 के पुलवामा हमले ने जिस तरह वैश्विक चेतना को झकझोरा, वह अबिद जैसे ऑपरेटिव्स की ही योजना और क्रियान्वयन का परिणाम था।

अबिद का मसूद अजहर से नाता केवल खून का नहीं, रणनीतिक भी था। वह कमांड और कंट्रोल के बीच की कड़ी था, जिससे JeM का नेटवर्क सुचारु रूप से चलता था।


आगे क्या?

संभावित परिदृश्य:

  1. बदला और हिंसा: JeM और ASWJ बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं।
  2. रणनीति में बदलाव: आतंकी संगठन अंडरग्राउंड हो सकते हैं।
  3. राजनयिक तनाव: यदि विदेशी हाथ साबित होता है, तो पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है।
  4. जनता की राय: “अज्ञात लोग” को नायक या खलनायक—इस पर समाज बंट सकता है।

फिलहाल सबकी नजर घायल कारी शाहिद पर है—क्या वह बचेगा? और अगर हां, तो क्या वह इस रहस्य पर से पर्दा उठा पाएगा?


निष्कर्ष: क्या यह आतंक के खिलाफ निर्णायक मोड़ है?

पेशावर में कारी एजाज़ अबिद की हत्या सिर्फ एक समाचार नहीं—यह आतंकवाद के खिलाफ चल रही जंग में एक संभावित मोड़ है।

JeM के लिए यह एक बड़ा झटका है, पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी, और दुनिया के लिए यह संदेश कि लड़ाई अब छाया में भी लड़ी जा रही है

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