दीवाली 2025 पर लक्ष्मी पूजा करने की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका

मंत्रों और उनके पवित्र अर्थों के साथ पूर्ण अनुष्ठान मार्गदर्शिका
दीवाली, प्रकाश का त्योहार, लक्ष्मी पूजा के साथ अपने चरम पर पहुँचता है — यह धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी माँ लक्ष्मी की आराधना का पर्व है।
2025 में लक्ष्मी पूजा सोमवार, 20 अक्टूबर को अमावस्या (नव चंद्रमा) की पवित्र रात्रि में होगी।
यह मार्गदर्शिका आपको पूजा के हर चरण से परिचित कराएगी ताकि आप सही विधि, सही भावना और पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा कर सकें।
🕯️ 2025 में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
- तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
- शुभ मुहूर्त: शाम 6:10 बजे से रात 8:40 बजे तक
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, दोपहर 3:44 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर, शाम 5:54 बजे
👉 प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के 2 घंटे 24 मिनट) में पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
🌸 दीवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों?
हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक अमावस्या को समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में स्वीकार किया।
यह रात्रि देवी की कृपा प्राप्त करने की सबसे शक्तिशाली रात्रि मानी जाती है।
साथ ही, यह दिन भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन का भी उत्सव है — जब पूरे नगर ने दीयों से जगमग प्रकाश किया था।
🏡 पूजा की तैयारी
✨ घर की सफाई और सजावट
- पूरे घर, विशेषकर पूजा कक्ष की सफाई करें।
- अव्यवस्था हटाएँ — माँ लक्ष्मी स्वच्छ और व्यवस्थित घरों में ही प्रवेश करती हैं।
- दरवाजे पर रंगोली बनाएँ।
- दीये जलाएँ — घर के द्वार, मंदिर और आँगन में।
- आम के पत्तों और गेंदे की मालाओं से सजाएँ।
📿 आवश्यक पूजा सामग्री
वेदी के लिए:
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति/तस्वीर
- लाल या पीला कपड़ा
- कलश (जल भरा हुआ, आम के पत्ते और नारियल सहित)
पूजा सामग्री:
- फूल (कमल, गेंदा, गुलाब)
- अगरबत्ती, धूप, दीये, कुमकुम, हल्दी
- चंदन, अक्षत, पान, सुपारी, कपूर, घंटी
प्रसाद:
- खीर, लड्डू, बर्फी, फल, सूखे मेवे
- चाँदी/सोने के सिक्के, नए नोट
अन्य:
- खाता बही या व्यापारिक रजिस्टर
- आभूषण और नकदी (आशीर्वाद हेतु)
🙏 लक्ष्मी पूजा की चरण-दर-चरण विधि
चरण 1: शुद्धिकरण
स्नान करें, स्वच्छ या नए कपड़े पहनें (लाल, पीले या हरे रंग में)।
चरण 2: वेदी की स्थापना
- चौकी पर कपड़ा बिछाएँ।
- मूर्तियाँ रखें, कलश स्थापित करें।
- कुमकुम से स्वास्तिक या कमल बनाकर सजाएँ।