Hinduism

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने गोमांस के हथियारीकरण की निंदा की

सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कड़ा कदम उठाने का वादा

गुवाहाटी, 12 जून 2025 – असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक साहसिक बयान में कुछ समूहों पर आरोप लगाया है कि वे ईद के बाद हिंदू-बहुल क्षेत्रों में जानबूझकर गोमांस के अवशेष फेंक रहे हैं, ताकि वहां रहने वाले हिंदुओं को उकसाकर उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया जा सके। भाजपा राज्य कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसे “गोमांस का हथियारीकरण” करार दिया और कहा कि असम की सांप्रदायिक एकता को खतरे में डालने वाले इन कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


गोमांस के माध्यम से उकसावे का आरोप

सीएम सरमा ने कहा कि पहले मुस्लिम परिवार हिंदू भावनाओं का सम्मान करते हुए गोमांस उपभोग से संबंधित सावधानी बरतते थे और इसे मुस्लिम-बहुल इलाकों तक सीमित रखते थे। लेकिन अब, उन्होंने आरोप लगाया, “जानबूझकर बचे हुए और कचरे को हिंदू इलाकों में फेंका जा रहा है ताकि स्थानीय हिंदू धीरे-धीरे पलायन कर जाएं।”

ईद-उल-जुहा (7 जून 2025) के बाद कॉटन यूनिवर्सिटी, धुबरी, होजाई और श्रीभूमि जैसे क्षेत्रों में गोमांस पाए जाने की घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया है। सरमा ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो भविष्य में कामाख्या मंदिर जैसे पवित्र स्थलों के सामने भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं।


अवैध गोवध और गिरफ्तारी

सरमा ने जानकारी दी कि ईद के दौरान 16 लोगों को अवैध गोवध के आरोप में गिरफ्तार किया गया और कछार और करीमगंज जिलों में 5 अवैध वध स्थलों की पहचान की गई। मंदिरों और शिक्षण संस्थानों के समीप कई स्थानों से गोवंश के अंग बरामद किए गए, जिससे होजाई और धुबरी में हिंदू समुदायों ने विरोध प्रदर्शन किए।

सीएम ने जोर देकर कहा, “भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता देता है, लेकिन कानून के शासन का भी पालन जरूरी है।” उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे उकसावे वाले कृत्य, चाहे किसी भी धर्म के हों, कड़ी कार्रवाई के पात्र होंगे।


असमवासियों से एकता की अपील और केंद्र का समर्थन

मुख्यमंत्री ने असमवासियों से “असमझौता रुख” अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य की सांस्कृतिक सुरक्षा अब हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने दावा किया कि असम को अस्थिर करने के पीछे “वैश्विक समर्थकों” का हाथ है और बताया कि इस्लामाबाद, ढाका और रियाद से जुड़े 2,895 फेसबुक अकाउंट्स केवल फिलिस्तीन और असम पर टिप्पणी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद की सराहना करते हुए सरमा ने कहा, “मोदी जी अकेले हमें नहीं बचा सकते।” उन्होंने कुछ स्थानीय वकीलों और याचिकाकर्ताओं पर कटाक्ष किया जो अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।


सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

धुबरी में एक मंदिर परिसर के पास गोमांस पाए जाने के बाद कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए। सरमा ने अफसोस जताया कि अब तक केवल तीन मुस्लिम नागरिकों ने इस घटना की निंदा की। उन्होंने “अच्छे मुस्लिमों” और उकसावे में शामिल तत्वों के बीच फर्क करते हुए मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर गोमांस संबंधी भड़काऊ पोस्टिंग से बचें

इस बीच, कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने विधानसभा में विदेशियों को पीछे धकेलने की नीति का विरोध किया, जिससे सीएम सरमा ने नाराजगी जताई कि कांग्रेस सांप्रदायिक उकसावों पर चुप है।


असम में अवैध अप्रवास के खिलाफ कार्रवाई

सरमा ने गोमांस घटनाओं को बांग्लादेशी अप्रवासन से जोड़ा और इसे राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश बताया। उन्होंने बताया कि 35 अवैध अप्रवासियों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें बाढ़ की स्थिति ठीक होने के बाद निर्वासित किया जाएगा। इसके लिए आप्रवासन (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 का उपयोग किया जाएगा।

सरमा ने जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश की तरह निर्वासन का डर पैदा करना, नए अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकने के लिए जरूरी है।


हिंदू समुदाय के लिए इस घटनाक्रम का महत्व

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि एक बड़ी सांस्कृतिक लड़ाई है। असम की 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की आबादी में 61% हिंदू और 34% मुस्लिम हैं। इस तरह की घटनाएं न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं, बल्कि जनसांख्यिकीय असंतुलन की दिशा में भी एक कदम हो सकती हैं।

सरकार ने 4 दिसंबर 2024 से होटलों और रेस्तरां में गोमांस पर सार्वजनिक प्रतिबंध लगाया था। अब मुख्यमंत्री के इस रुख से यह स्पष्ट है कि भाजपा असम की हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


निष्कर्ष: असम की सांस्कृतिक रक्षा के लिए एकजुटता आवश्यक

हिमंत बिस्वा सरमा का बयान केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि असम की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा का आह्वान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ गोमांस की बात नहीं है, बल्कि असम के सामाजिक ढांचे और जनसंख्या संतुलन को लेकर एक लंबी लड़ाई है।

उनकी अपील है कि असमवासी सतर्क रहें, एकजुट रहें और इस प्रकार के उकसावों को सफल न होने दें। यह असम की शांति, समरसता और अस्मिता की रक्षा के लिए लिया गया एक दृढ़ और निर्णायक कदम है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

blank
Hinduism

डर पर काबू पाना: काले जादू में विश्वास से खुद को कैसे बचाएं

परिचय : डर और काले जादू के आकर्षण को समझना हममें से कई लोगों ने ऐसे समय का अनुभव किया है
blank
Hinduism

हिंदू धर्म – सभी धर्मों का पिता

हिंदू धर्म को अक्सर सबसे पुराना और सबसे प्रभावशाली धर्म माना जाता है, और कई लोग इसे “सभी धर्मों का