चैत्र मास का महत्व, पूजन विधि, इतिहास एवं किस देवता की पूजा करें?

🔆 चैत्र मास का महत्व
चैत्र मास हिंदू पंचांग का प्रथम मास होता है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और इसे नए सौर वर्ष का प्रारंभ माना जाता है। इस महीने को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस दौरान कई महत्वपूर्ण पर्व और व्रत आते हैं।
👉 इस माह के प्रमुख पर्व एवं त्योहार:
चैत्र नवरात्रि (मां दुर्गा की आराधना) गुड़ी पड़वा (मराठी नववर्ष) उगादी (तेलुगु और कन्नड़ नववर्ष) राम नवमी (भगवान श्रीराम का जन्मदिन) हनुमान जयंती (हनुमान जी की जयंती) चैत्र पूर्णिमा – सत्यनारायण व्रत और हनुमान पूजा
🔱 चैत्र मास में किस देवता की पूजा करें?
इस माह में विशेष रूप से भगवती दुर्गा, भगवान श्रीराम, हनुमान जी एवं सूर्यदेव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
✔ चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। ✔ राम नवमी पर भगवान श्रीराम की विशेष पूजा-अर्चना करें। ✔ हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा का पाठ एवं सुंदरकांड का पाठ करें। ✔ चैत्र पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ✔ सूर्यदेव की पूजा करने से रोग, शोक और दरिद्रता का नाश होता है।
🔍 चैत्र मास की पूजन विधि
1️⃣ प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ तांबे के लोटे में जल, लाल फूल एवं अक्षत डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
3️⃣ श्रीराम, हनुमान एवं दुर्गा माता का पूजन करें।
4️⃣ नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
5️⃣ राम नवमी के दिन रामायण पाठ करें और प्रसाद वितरण करें।
6️⃣ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें।
7️⃣ उपवास एवं संयम का पालन करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
📚 चैत्र मास का इतिहास एवं पौराणिक महत्व
📝 हिंदू मान्यता के अनुसार:
इस मास में भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास की नवमी तिथि को हुआ था। महाभारत के अनुसार, इसी माह में पांडवों ने अज्ञातवास के बाद अपना राज्य पुनः प्राप्त किया था।
🔆 चैत्र मास में ध्यान रखने योग्य बातें
✅ सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
✅ मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
✅ श्रीराम नवमी के दिन रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
✅ उपवास के दौरान सात्विक भोजन करें और मन को शांत रखें।
✅ नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करें।
✅ पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।