श्रावण मास समाप्ति तिथि 2025: पूर्ण विधि-विधान और महत्वपूर्ण अनुष्ठान

श्रावण मास की समाप्ति कैसे मनाएं – पूजा विधि, व्रत नियम और शुभ मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी
हिंदू धर्म में श्रावण मास को सबसे पवित्र और फलदायी महीनों में से एक माना जाता है। इस पावन महीने की समाप्ति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी इसकी शुरुआत। जानें कि 2025 में श्रावण मास कब समाप्त हो रहा है और इसकी समाप्ति पर किए जाने वाले विशेष अनुष्ठानों से कैसे प्राप्त करें अधिकतम पुण्य फल।
श्रावण मास समाप्ति तिथि 2025
दक्षिण भारतीय कैलेंडर के अनुसार
श्रावण मास 2025 में 23 अगस्त, शनिवार को श्रावण अमावस्या (पोलला अमावस्या/पिठौरी अमावस्या) के दिन समाप्त होगा। यह तिथि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में मानी जाती है।
उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार
उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास की समाप्ति 9 अगस्त 2025, श्रावण पूर्णिमा के दिन होगी। यह तिथि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में मानी जाती है।
श्रावण मास समाप्ति के विशेष अनुष्ठान
1. श्रावण अमावस्या पूजा विधि
श्रावण अमावस्या के दिन विशेष पूजा-अर्चना का बहुत महत्व है:
प्रातःकाल की विधि:
- सूर्योदय से पहले स्नान करें
- गंगाजल या पवित्र जल से स्नान करना अधिक फलदायी
- साफ वस्त्र धारण करें, सफेद या पीले रंग के वस्त्र उत्तम
- तुलसी के पत्ते और बिल्वपत्र एकत्र करें
पूजा सामग्री:
- शिवलिंग या शिव प्रतिमा
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- फूल (धतूरे के फूल विशेष रूप से शुभ)
- बिल्वपत्र, आक के फूल
- चन्दन, कुमकुम, हल्दी
- नैवेद्य (खीर, मिठाई, फल)
2. भगवान शिव की विशेष आराधना
श्रावण मास की समाप्ति पर भगवान शिव की विशेष पूजा करें:
रुद्राभिषेक विधि:
- प्रातःकाल 6-8 बजे के बीच पूजा प्रारंभ करें
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी का अभिषेक करें
- बिल्वपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें
- धतूरे के फूल और आक के फूल अर्पित करें
- 108 या 1008 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥3. माता लक्ष्मी की आराधना
श्रावण मास में माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए:
वरलक्ष्मी व्रत समापन:
- यदि आपने वरलक्ष्मी व्रत रखा है, तो उसका समापन विधिवत करें
- कमल के फूल और सफेद चावल अर्पित करें
- “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें
- दक्षिणा और वस्त्र का दान करें
4. पितृ पक्ष की तैयारी
श्रावण मास की समाप्ति के साथ पितृ पक्ष की तैयारी भी प्रारंभ हो जाती है:
पितर व्रत नियम:
- पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें
- तिल, जौ और काले तिल का दान करें
- गरीबों को भोजन कराएं
- ब्राह्मणों को दक्षिणा दें
श्रावण समाप्ति के दिन के विशेष नियम
व्रत और उपवास विधि
निर्जला व्रत:
- यदि संभव हो तो निर्जला व्रत रखें
- सूर्यास्त के बाद ही जल ग्रहण करें
- फलाहार केवल शाम के समय करें
सात्विक आहार:
- तामसिक भोजन से बचें
- प्याज, लहसुन, मांस से परहेज करें
- केवल सात्विक और शाकाहारी भोजन करें
दान और पुण्य कार्य
महादान की सूची:
- अन्नदान: गरीबों को भोजन कराएं
- वस्त्रदान: जरूरतमंदों को कपड़े दान करें
- गौदान: यदि संभव हो तो गाय का दान करें
- स्वर्णदान: सोना या चांदी का दान करें
- भूमिदान: भूमि दान करना अत्यंत पुण्यकारी
विशेष दान:
- तुलसी का पौधा दान करें
- शिवलिंग की स्थापना कराएं
- मंदिर में घी का दीपक जलवाएं
- गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग करें
क्षेत्रीय परंपराएं और रीति-रिवाज
महाराष्ट्र की परंपराएं
पोळा त्योहार:
- बैलों और भैंसों की पूजा करें
- कृषि उपकरणों का सम्मान करें
- नांदी महाराज की आराधना करें
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
पोलला अमावस्या:
- मवेशियों की पूजा और श्रृंगार
- हल्दी, कुमकुम से तिलक लगाएं
- गोधन की वृद्धि के लिए प्रार्थना
उत्तर भारत की परंपराएं
श्रावण पूर्णिमा (रक्षा बंधन):
- बहन-भाई का पावन त्योहार
- राखी बांधने की परंपरा
- मिठाई और उपहार का आदान-प्रदान
श्रावण समाप्ति के शुभ मुहूर्त
पूजा के लिए उत्तम समय
प्रातःकाल मुहूर्त:
- सूर्योदय से 2 घंटे तक (ब्राह्म मुहूर्त)
- सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक सर्वोत्तम
- प्रदोष काल (सूर्यास्त से पहले 1.5 घंटे)
रात्रि मुहूर्त:
- निशिथकाल (रात 12 बजे के आसपास)
- अगर अमावस्या रात में हो तो विशेष पूजा
मंत्र जाप के लिए संख्या
न्यूनतम जाप संख्या:
- महामृत्युंजय मंत्र: 108 बार
- ॐ नमः शिवाय: 1008 बार
- श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर: 108 नाम
- विष्णु सहस्रनाम: 1 पा
व्रत समापन की विधि
उपवास तोड़ने का तरीका
क्रमबद्ध आहार:
- पहले जल का सेवन करें
- फिर दूध या फलों का रस लें
- हल्का फलाहार करें (फल, दूध, दही)
- अंत में सात्विक भोजन करें
परहेज करने योग्य:
- तुरंत भारी भोजन न करें
- तली हुई चीजों से बचें
- मांस-मछली का सेवन न करें
- नशीले पदार्थों से दूर रहें
श्रावण समाप्ति के फायदे
आध्यात्मिक लाभ
पाप नाश:
- जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- आध्यात्मिक शुद्धता की प्राप्ति
देवकृपा प्राप्ति:
- भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद
- माता लक्ष्मी की कृपा से धन-समृद्धि
- भगवान विष्णु की सुरक्षा प्राप्ति
सांसारिक लाभ
स्वास्थ्य लाभ:
- शरीर की शुद्धता
- मानसिक शांति
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
धन-समृद्धि:
- व्यापार में वृद्धि
- आर्थिक स्थिति में सुधार
- अचल संपत्ति की प्राप्ति
आने वाले पर्वों की तैयारी
गणेश चतुर्थी की तैयारी
श्रावण समाप्ति के तुरंत बाद गणेश चतुर्थी आती है:
- गणेश जी की मूर्ति की व्यवस्था करें
- मंडप सजाने की तैयारी करें
- पूजा सामग्री एकत्र करें
- मिठाई और प्रसाद की व्यवस्था करें
पितृ पक्ष की तैयारी
पितृ पक्ष के लिए आवश्यक सामग्री:
- तिल, जौ, चावल
- काले कपड़े और दक्षिणा
- पितरों के लिए भोजन सामग्री
- तर्पण के लिए जल और बर्तन
सामान्य सावधानियां और नियम
व्रत के दौरान सावधानियां
स्वास्थ्य संबंधी:
- यदि कोई गंभीर बीमारी है तो व्रत न रखें
- बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं सावधानी बरतें
- बच्चों के लिए हल्का व्रत रखें
धार्मिक नियम:
- मन और वचन की शुद्धता रखें
- किसी से झगड़ा-फसाद न करें
- सत्य का सहारा लें, झूठ से बचें
निष्कर्ष: श्रावण समाप्ति का महत्व
श्रावण मास की समाप्ति केवल एक कैलेंडर बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा का पूर्णता बिंदु है। इस पावन अवसर पर किए गए अनुष्ठान और व्रत न केवल धार्मिक मान्यताओं को पूरा करते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाते हैं।
भक्तों द्वारा फूल, कौड़ी और पीले फल अर्पित करके माता लक्ष्मी की पूजा करना, और “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” जैसे मंत्रों का जाप करना इस महीने की विशेष परंपरा है।
याद रखें कि व्रत और पूजा-पाठ का वास्तविक उद्देश्य आंतरिक शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति है। सच्चे मन से किया गया कोई भी छोटा कार्य भी महान फल देता है।
हर हर महादेव! श्रावण मास की समाप्ति आपके जीवन में नई खुशियों और समृद्धि का संचार करे।
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